थाने के बगल में आखिर कैसे खड़ी हो गई 9 मंजिला इमारत?

 



पुलिस थाने के बराबर में होने के बाद भी तब्लीगी मरकज की न सिर्फ नौ मंजिला इमारत (दो मंजिल बेसमेंट और सात मंजिल का भवन) खड़ी हो गई, बल्कि अग्निशमन के सुरक्षा नियमों को भी धता बताकर हजारों लोगों को यहां पर रखा जाता था। इतना ही नहीं इसके पास ही सब्ज बुर्ज जैसी संरक्षित इमारत है। इसके बाद भी यहां पर एजेंसियों की आंखे नहीं खुलीं। इससे नगर निगम से लेकर, दिल्ली पुलिस, अर्बन आर्ट कमीशन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की कार्यशैली की भी पोल खोल गई है।


निजामुद्दीन के जिस इलाके में यह इमारत बनी है वह रिहायशी क्षेत्र हैं। मास्टर प्लान के अनुसार किसी भी रिहायशी क्षेत्र में 15 मीटर से ऊंची इमारत नहीं हो सकती। बावजूद इसके यह इमारत करीब 25 मीटर से भी ऊंची बना दी गई।


नक्शा तक पास नहीं 9 मंजिला इमारत का


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक न तो इस इमारत का नक्शा पास हैं और न ही भवन निर्माण नियमों का पालन किया गया है। यह प्लॉट 1500-2000 गज का है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक वर्ष 1992 में इसके प्लॉट का नक्शा पास कराया गया था, लेकिन, उस समय भी अधिकतम ढाई मंजिल की इमारत बनाने की इजाजत थी। ऐसे में अगर नक्शा पास भी हुआ होगा तो ढाई मंजिल से ज्यादा की अनुमति नहीं होगी। निगम को अभी इसके दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं। चूंकि वर्ष 2012 में निगम को तीन हिस्सों में विभाजित कर दिया गया था। इसकी वजह से कई कागज भी निगम को नहीं मिल रहे हैं, जिन्हें तलाशा जा रहा है।


समर्थकों का दायरा बढ़ा तो इमारत भी बढ़ती गई


सूत्रों के मुताबिक तब्लीगी मरकज का जैसे-जैसे दायरा बढ़ता गया इसका स्वरूप भी बढ़ता गया। विदेशों से मरकज के सदस्यों की संख्या बढ़ रही थी। जिसकी वजह से फंडिग भी खूब हो रही थी। सूत्रों के अनुसार सर्वाधिक निर्माण वर्ष 1995 के आसपास हुआ। समय-समय इसमें मरम्मत का कार्य चलता रहता है। लेकिन, दिल्ली पुलिस और नगर निगम की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।


राजपाल सिंह (उपाध्यक्ष, स्थायी समिति, दक्षिणी निगम) का कहना है कि निगम के अधिकारी भवन की फाइलें खंगाल रहे हैं। दो मंजिला बेसमेंट और सात मंजिल की ऊंची इमारत तो किसी भी नियम में बन ही नहीं सकती। जैसे ही जांच हो जाएगी और बिल्डिंग में जो भी अवैध हिस्सा होगा उसको गिराया जाएगा।  


आरजी गुप्ता (पूर्व वास्तुकार, डीडीए) ने बताया कि तब्लीगी मरकज इमारत के पास संरक्षित स्मारक हैं, यहां पर बिना इजाजत के निर्माण हो नहीं सकता। अगर बिना इजाजत के यहां निर्माण होता है तो वह पूरी तरह अवैध हैं।